Ganesh Chaturthi 2022: विष्णु जी द्वारा रची इस लीला के चलते गणेश जी विनायक से बने थे गजानन, पढ़िए ये रोचक कथा

 
Ganesh Chaturthi 2022: विष्णु जी द्वारा रची इस लीला के चलते गणेश जी विनायक से बने थे गजानन, पढ़िए ये रोचक कथा

Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू धर्म में गणपति जी सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं. जिन्हें गणपति, गणराज, लम्बोदर, विघ्नहर्ता तथा विनायक आदि नामों से पुकारा जाता है. गणपति जी के इन सभी नामों के पीछे की कोई ना कोई कथा छुपी हुई है.

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इसी के साथ विनायक (गणपति जी) को गजराज बनाने के पीछे भी एक कहानी सुनाई जाती है. दरअसल विनायक को गजराज बनाने के पीछे कई सारी कहानियां सुनाई जाती हैं, लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार इसे देवराज इंद्र की भूल बताया जाता है.

Ganesh Chaturthi 2022: विष्णु जी द्वारा रची इस लीला के चलते गणेश जी विनायक से बने थे गजानन, पढ़िए ये रोचक कथा

तो आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा का सार

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार निर्जन वन की पुष्टि प्रदा नदी के पास देवराज इंद्र टहल रहे थे. उस वन में रंभा अप्सरा भी आराम कर रही थी. उसी समय ऋषि दुर्वासा भी अपने शिष्यों के साथ बैकुंठ से लौट रहे थे.

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देवराज इंद्र ने दुर्वासा ऋषि को देखा और तुरंत प्रणाम किया. दुर्वासा जी ने आशीर्वाद के रूप में भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त पारिजात पुष्प देवराज इंद्र को दिया, पारिजात पुष्प की महानता का विवरण करते हुए विष्णु जी बोले कि यह पुष्प जिसके मस्तक पर होगा वह तेजस्वी, परम बुद्धिमान बन जाएगा. देवी लक्ष्मी व देवी सरस्वती का वास होगा.

Ganesh Chaturthi 2022: विष्णु जी द्वारा रची इस लीला के चलते गणेश जी विनायक से बने थे गजानन, पढ़िए ये रोचक कथा

लेकिन अहंकार में डूबे देवराज इंद्र ने फूल का अपमान करके उसे हाथी के सर पर रख दिया. ऐसा करते ही देवराज इंद्र का तेज समाप्त हो गया. अप्सरा रंभा भी इंद्र को वियोग में छोड़कर चली गई. इसी के साथ इंद्र का हाथी भी जंगल की ओर चला गया. एक हथिनी उस हाथी से मोहित होकर उसके साथ रहने लगी. हाथी को खुद पर घमंड भी होने लगा.

ऐसे में हाथी के अभिमान को कम करने के लिए भगवान विष्णु ने एक लीला को रचा. इसमें विष्णु जी ने उस हाथी का सिर काट कर गजराज के धड़ पर लगा दिया. फिर पारिजात पुष्‍प को प्राप्त वरदान गणेश जी को प्राप्त हुआ. जिसके बाद से गणेश जी पद, समृद्धि और सम्मान दुगुना हो गया.

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