Hanuman chalisa: अगर आप भी बजरंगबली के भक्त हैं. तो आप हनुमान चालीसा और उसके महत्व से अवश्य ही परिचित होंगे. हनुमान चालीसा को पढ़ने मात्र से आपको हनुमान जी की कृपा प्राप्त होने लगती है.
साथ ही जो व्यक्ति नित्य हनुमान चालीसा पढ़ता है, उसे जीवन में कभी भी अज्ञात भय नहीं सताता है. हनुमान जी हनुमान जी के चालीसा की रचना महान तुलसीदास ने 16वीं सदी में कर दी थी.
कहते हैं जब तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा रचित की थी, उस दौरान वह अकबर की कैद में थे, जहां से उन्हें वानरों की सेना ने ही आजाद कराया था.
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जिसके बाद ही तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की. जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टियों से विशेष महत्व है.
तो चलिए जानते हैं, हनुमान चालीसा में वर्णित वैज्ञानिक खोजों के बारे में…जिनपर नासा के वैज्ञानिक तक आश्चर्य प्रकट करते हैं.
हनुमान चालीसा में वर्णित है ये महत्वपूर्ण तथ्य
जैसा कि आप जानते हैं कि सूर्य से पृथ्वी की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. इसके बारे में आपने केवल और केवल विज्ञान की किताबों में ही पढ़ा होगा.
लेकिन अगर हम आपको बताएं कि हनुमान चालीसा में सूर्य और पृथ्वी की इस दूरी का मापन सबसे पहले किया गया था. तो क्या आप हमारी बात पर यकीन करेंगे.
यदि नहीं! तो हनुमान चालीसा का 18वें श्लोक में वर्णित है, जिसे पढ़कर आपको अवश्य ही बात पर विश्वास हो जाएगा कि…

जुग सहस्त्र योजन पर भानू।
लिल्यो ताहि मधुर फल जानू।।
1 युग = 12000 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000 वर्ष
1 योजन = 8 मील
1 मील = 1.6 किलोमीटर
इस प्रकार युग, सहस्त्र और योजन का गुणनफल करने पर आपको (12000×1000×8 = 96000000 मील)
(96000000×1.6= 153600000 किमी) प्राप्त होगा. जोकि सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी के सही आंकड़े को दर्शाता है.

जबकि अगर आप हनुमान चालीसा के 9वें और 10वें श्लोक पर नजर डालेंगे, तो पाएंगे कि हनुमान जी के पास एक अद्भुत शक्ति थी. जिसके चलते वह कभी छोटे तो कभी बड़े हो जाया करते थे.
यानि हनुमान जी के पास ऐसी ऊर्जा या शक्ति थी, जिससे वह कभी परमाणु के समान आकार के साथ ब्रह्माण्ड के बराबर हो सकते थे.
हनुमान चालीसा में ये भी बताया गया है कि शेषनाग ब्रह्मांड से पहले ही जीवित था. और ब्रह्मांड की समाप्ति के बाद भी केवल एक ही चीज शेष रह जायेगी और वह है शेषनाग.