Hanuman ji blessings: आपको भी चाहिए अपनी पंसद की नौकरी, तो हर मंगलवार कीजिए हनुमान स्तवन का पाठ…

 
Hanuman ji blessings: आपको भी चाहिए अपनी पंसद की नौकरी, तो हर मंगलवार कीजिए हनुमान स्तवन का पाठ…

Hanuman ji blessings: हनुमान जी अपने भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आज के दिन बजरंगबली की सच्चे मन से भक्ति करता है. हनुमान जी अपने भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आज के दिन बजरंगबली की सच्चे मन से भक्ति करता है. हनुमान जी उन्हें सारे भय औऱ परेशानियों से निजात दिलाते हैं. हमारे आज के इस लेख में हम आपको हनुमान जी के स्तवन पाठ के बारे में बताएंगे, जोकि आपको समय-समय पर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. हनुमान जी के स्तवन पाठ का जाप करके आप ना केवल जीवन की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं.

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बल्कि अगर आपको अपनी पंसद की नौकरी पाना चाहते हैं. तो आपको भी नित्य प्रति हनुमान जी के स्तवन का पाठ करना चाहिए. हमारे आज के इस लेख में हम आपको हनुमान स्तवन पाठ के बारे में बताएंगे, जिसका पाठ करने पर आपको भी अपने पंसद की नौकरी मिल सकती है. साथ ही हनुमान जी की विशेष कृपा आपको प्राप्त होती है तो चलिए जानते हैं….

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https://www.youtube.com/watch?v=6iAwhF_nCbI

यहां पढ़िए हनुमान स्तवन का पाठ

सोरठा
प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ॥१॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् ।
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ॥२॥

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम् ।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥३॥

https://www.youtube.com/watch?v=S-JZIL96kYI

श्रीहनुमन्नमस्कारः
गोष्पदी-कृत-वारीशं मशकी-कृत-राक्षसम् ।
रामायण-महामाला-रत्नं वन्देऽनिलात्मजम् ॥ १॥

अञ्जना-नन्दनं-वीरं जानकी-शोक-नाशनम् ।
कपीशमक्ष-हन्तारं वन्दे लङ्का-भयङ्करम् ॥ २॥

महा-व्याकरणाम्भोधि-मन्थ-मानस-मन्दरम् ।
कवयन्तं राम-कीर्त्या हनुमन्तमुपास्महे ॥ ३॥

https://www.youtube.com/watch?v=6f6SqNwGXiI

उल्लङ्घ्य सिन्धोः सलिलं सलीलं
यः शोक-वह्निं जनकात्मजायाः ।
आदाय तेनैव ददाह लङ्कां
नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम् ॥ ४॥

मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं
श्रीराम-दूतं शिरसा नमामि ॥ ५॥

आञ्जनेयमतिपाटलाननं
काञ्चनाद्रि-कमनीय-विग्रहम् ।
पारिजात-तरु-मूल-वासिनं
भावयामि पवमान-नन्दनम् ॥ ६॥

यत्र यत्र रघुनाथ-कीर्तनं
तत्र तत्र कृत-मस्तकाञ्जलिम् ।
बाष्प-वारि-परिपूर्ण-लोचनं
मारुतिर्नमत राक्षसान्तकम् ॥ ७॥

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