Mahashivratri Special: अपने ही माता-पिता के विवाह में सर्वप्रथम कैसे पूजे गए भगवान गणेश? जानें…
Mahashivratri Special: भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के संदर्भ में महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ सात फेरे लिए थे. इसके साथ ही भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का प्रदुर्भाव भी महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था, जिस कारण हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बेहद अहम माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से पहले गणपति पूजन कैसे संभव हो सका?
जबकि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में भगवान गणेश ने जन्म लिया था. तो जन्म से पहले वह अपने माता पिता की विवाह के समय कैसे पूजे गए? इसको लेकर एक बेहद रोचक मान्यता है, जिसके बारे में आज हमारे इस लेख में जानेंगे. चलिए जानते हैं…
भगवान शिव और माता पार्वती के समय पूजे गए थे गणेश जी
मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।
गोस्वामी तुलसीदास जी के उपरोक्त श्लोक से पता चलता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के समय गणेश पूजन किया गया था, जैसा कि हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत से पहले गणेश जी की आराधना की जाती है,
ठीक उसी प्रकार से माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह के समय भी गणेश पूजन आयोजित किया गया था. भगवान गणेश जिनको अनादि गणपति के तौर पर वैदिक शास्त्रों में उल्लेखित किया गया है,
वह असल में भगवान गणेश नहीं बल्कि अनादि गणपति और ब्रह्मणस्पति का अवतार है. जिन्हें माता जगदंबा ने अपने पुत्र के रूप में मांगा था, ऐसे में माता पार्वती को भगवान गणेश पुत्र के रूप में प्राप्त हुए थे.
अगर देखा जाए तो भगवान विष्णु जिस तरह से अनादि हैं, ठीक उसी तरह से विघ्नहर्ता गणेश जी भी अनादि देवता के तौर पर हिंदू धर्म में विख्यात है, ऐसे में अपने माता पिता की विवाह से पहले उनका पूजन उनके अनादि स्वरूप को दर्शाता है,
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जिसकी ना तो कोई जन्म का समय है और ना ही मरण का. ऐसे में कहा जा सकता है कि भगवान गणेश की किसी भी शुभ काम से पहले पूजा करने का प्रावधान काफी पुराना है.