Narak chaturdarshi 2022: छोटी दिवाली पर जरूर करें पंच देवों की आराधना, वरना नाराज हो जाएंगे यम

 
Narak chaturdarshi 2022: छोटी दिवाली पर जरूर करें पंच देवों की आराधना, वरना नाराज हो जाएंगे यम

Narak chaturdarshi 2022: भारतवर्ष में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं. लेकिन कुछ खास पर्वों में दीपावली और धनतेरस जैसे पर्व भी शामिल है. इस प्रकार हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष दीपावली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है.

लेकिन इससे पूर्व कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दीवाली यानि नरक चतुर्दशी का पर्व भी मनाया जाता है. जिसका अपना एक विशेष महत्व होता है.

हालांकि छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी बड़ी दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है लेकिन इस बार छोटी दीपावली और बड़ी दीपावली एक ही दिन मनाई जाएगी लेकिन उसके मुहूर्त अलग-अलग होंगे.

इस साल 2022 में नरक चतुर्दशी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. जोकि 23 अक्टूबर की शाम 6:04 से चतुर्दशी तिथि के साथ शुरू हो जाएगी. फिर यह चतुर्दशी 24 अक्टूबर की शाम 5:28 तक ही रहेगी.

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इसके बाद बड़ी दीपावली की अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी के दिन पांच अन्य पर्व भी मनाए जाते हैं.

Narak chaturdarshi 2022: छोटी दिवाली पर जरूर करें पंच देवों की आराधना, वरना नाराज हो जाएंगे यम
Imagecredit:- thevocalnewshindi

जी हां, इस दिन नरक चतुर्दशी के अतिरिक्त भी पांच तरीके के पर्व मनाए जाते हैं जिसमें पांच अलग-अलग देवताओं का पूजन किया जाता है. तो आइए जानते हैं छोटी दिवाली के दिन और कौन-कौन से देवताओं के पर्व मनाए जाते हैं.

नरक चतुर्दशी का पर्व

छोटी दीवाली के दिन पौराणिक कथाओं के मुताबिक नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं की माने तो कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही भौमासुर राक्षस जिसे नरकासुर भी कहा जाता है, का अंत भगवान कृष्ण द्वारा किया गया था. जिसके उपलक्ष में ही भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा-अर्चना इस दिन की जाती है.

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रूप चौदस का पर्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक छोटी दीवाली के दिन रूप चौदस का पर्व भी मनाया जाता है. जिसका संबंध एक प्रचलित कथा से भी है. इस कथा के मुताबिक प्राचीन समय में हिरण्यगर्भ नामक राज्य में एक योगी रहा करता था. कठिन तपस्या के चलते उसका शरीर बहुत ही खराब हो गया था लेकिन फिर नारद मुनि के सुझाव से उन्होंने कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखा. इस दिन व्रत रखने से विष्णु जी की विशेष कृपा से उनका स्वास्थ्य फिर से ठीक हो गया. जिसके चलते इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा भी की जाती है.

काली चौदस का पर्व

काली चौदस के पर्व के नाम से स्पष्ट हो रहा है कि इस पर्व में माता काली की पूजा की जाती है. पश्चिम बंगाल में नरक चतुर्दशी के दिन काली चौदस को ही मनाया जाता है. इसे वहां काली जयंती के नाम से भी जानते हैं. काली चौदस की रात माता काली की पूजा से ही समस्त भक्त अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं.

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यम दीपक का पर्व

माना जाता है कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यमराज के लिए दीपक भी प्रचलित किए जाते हैं. इस दिन को यम दीया के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस तिथि पर दीपक प्रज्वलित करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है. इस तिथि पर यदि आप दीपक दक्षिण दिशा में ही प्रज्वलित करेंगे तो लाभ प्राप्त होगा.

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हनुमान जयंती का पर्व

माना जाता है कि छोटी दिवाली के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. हालांकि चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है लेकिन यदि हम महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लिखी गई रामायण के अनुसार देखे तो हनुमान जी का जन्म कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था. जिसके चलते इस दिन भी हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है.

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