Shani dev vahan: 'झूठ बोले कौआ काटे" इस कहावत का शनिदेव और कौवे से क्या है संबंध? जानें
Shani dev vahan: जिस तरह से देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू है, उसी प्रकार से शनिदेव का वाहन कौवा कहलाता है. वैसे तो शनि देव के कुल 9 वाहन है, लेकिन शनिदेव को कौवा सबसे अधिक प्रिय है. यही कारण है कि शनिदेव की कृपा पाने के लिए हिंदू धर्म में श्राद्ध के दिनों में कौवे को रोटी खिलाने की परंपरा है.
कौवे को पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि श्राद्ध के दिनों में कौवे को विशेष तौर पर पूजा जाता है. शनिदेव के वाहन कौवे को हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक अवसरों पर रोटी खिलाने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि जब भी कोई व्यक्ति कोई गलत कार्य करता है या झूठ बोलता है. तब कौवा जाकर शनि देव को उस व्यक्ति के बारे में बताता है,
जिस पर शनिदेव उस व्यक्ति को दंड देते हैं. इसी वजह से हिंदी की यह कहावत झूठ बोले कौआ काटे काफी प्रचलित है. आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शनिदेव ने कौवे को अपने वाहन के तौर पर क्यों चुना? तो चलिए जानते हैं...
शनिदेव और कौवे का संबंध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्यदेव की पत्नी स्वयं सूर्यदेव का ताप नहीं झेल पा रही थी, तब उन्होंने अपनी एक छाया का निर्माण किया और सूर्यदेव की सेवा करने के लिए उसे उनके साथ छोड़ दिया. इसके बाद सूर्यदेव की पत्नी संध्या तपस्या करने चली गई.
सूर्य देव की सेवा में समर्पित छाया ने जब शनिदेव को जन्म दिया, तब शनिदेव का रंग अत्यंत काला था. क्योंकि छाया जोकि सूर्य देव की सेवा में समर्पित थी, सूर्य की किरणों की वजह से उसकी कोख में पल रहे शनिदेव का रंग काला पड़ गया.
ऐसे में जब सूर्य देव ने अपने पुत्र को देखा तब उन्हें सच्चाई का पता लगा और उन्होंने अपनी पत्नी के इस व्यवहार से क्रोधित होकर शनिदेव और छाया का त्याग कर दिया. इस दौरान सूर्य देव ने शनिदेव और छाया को समाप्त करने के लिए वन में आग लगा दी. उस वन में एक कौवा भी था.
ऐसे में जब शनिदेव ने अपनी माता और अपने प्राणों की रक्षा के लिए महादेव से प्रार्थना की, तब महादेव की कृपा से शनि देव और उनकी माता वन से बाहर निकल आई. इस दौरान वह कौवा वन से बाहर आ गया, तब से शनिदेव की सवारी के तौर पर कौवा जाना जाता है.
अन्य मान्यताओं के अनुसार, शनि देव ने जब अपने पिता का घर छोड़ा था, तब भी उनके साथ एक कौवा मौजूद था, जिसके साथ वह काग लोक चले आए. तब से शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कौवा को रोटी खिलाई जाती है.
इसके साथ ही अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तब भी आपको कौवे को रोटी अवश्य खिलानी चाहिए क्योंकि कौवा पितृलोक में एक दूत की भांति कार्य करता है.
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