Shanidev: शनि की साढ़े साती और महादशा कैसे डालती है आप पर प्रभाव? जानें आसान भाषा में...
Shanidev: शनि देव जिन्हें न्याय प्रिय देवता की उपाधि दी गई है. शनिवार के दिन विशेष तौर पर शनिदेव की उपासना की जाती है. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो शनि देव को सबसे क्रूर ग्रह का दर्जा दिया गया है.
ऐसे में शनिदेव जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में नीच स्थिति में मौजूद होते हैं, तब उस व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और महादशा का प्रभाव देखने को मिलता है.
जिस वजह से व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक परेशानी झेलनी पड़ती हैं. ऐसे में आज हम आपको शनि की साढ़ेसाती और महादशा से अवगत कराएंगे, इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि आखिर किस तरह से उपरोक्त दोनों आपके जीवन को प्रभावित करते हैं, तो चलिए जानते हैं....
क्या होता है शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि की साढ़ेसाती किसी भी व्यक्ति के जीवन में 3 चरणों में आती है. जिसमें पहले चरण के दौरान व्यक्ति को शिक्षा और माता-पिता के जीवन से जुड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती है. दूसरे चरण में व्यक्ति को कार्य और व्यापार की हानि उठानी पड़ती है, तीसरे चरण में व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है.
ऐसे में आप भी किसी ज्योतिष से यदि अपनी कुंडली दिखवाएं, तब शनि की कुंडली में मौजूद स्थिति के बारे में अवश्य जान लें, जिससे आपको पता लग जाए कि शनि की आपकी कुंडली में इस समय क्या स्थिति है, अन्यथा अपने जीवन में अनेक प्रकार की समस्या उठानी पड़ती है.
शनि की महादशा का प्रभाव
शनि की महादशा किसी भी व्यक्ति की कुंडली में यदि मौजूद हो, तो उसका प्रभाव करीब 19 सालों तक रहता है. शनि की महादशा शनि की साढ़ेसाती से भी अधिक खतरनाक होती है. इस दौरान आपकी कुंडली में शनि की स्थिति काफी कमजोर होती है जिस वजह से आपके जीवन में हर समय नकारात्मकता ऊर्जा का ही वास रहता है.
शनि की महादशा के दौरान व्यक्ति को अच्छे और धार्मिक कार्य करने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही शनि आपके द्वारा ईमानदारी से किए गए कर्मों का फल आपको अवश्य देते हैं.
ऐसे में शनि की साढ़ेसाती और महादशा के समय आप अनेक ज्योतिष उपाय आदि कर सकते हैं, लेकिन शनिदेव आपके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की वजह से आप पर बुरा प्रभाव नहीं डालते, इसलिए शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए जीवन को धर्मानुसार जीना आरंभ कर दें.
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