जन्मदिन विशेष : एक कप्तान जिसने 21 की उम्र में टीम इंडिया को जीतना सिखाया

 
जन्मदिन विशेष : एक कप्तान जिसने 21 की उम्र में टीम इंडिया को जीतना सिखाया

आज भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा होना सुख सुविधाओं के साथ-साथ सेलिब्रिटी होने का सुख महसूस करवाता है। आज क्रिकेट एक बिजनेस बन चुका है।

हालांकि बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट को यहां तक पहुंचने के लिए कई क्रिकेटरों ने भारत को क्रिकेट खेलना और जितना सिखाया। इसी कड़ी में एक नाम है टाइगर पटौदी।

90 के दशक तक क्रिकेटर एक संघर्ष के रूप में क्रिकेट खेला करते थे हालांकि यह कहानी 60 के दशक की है जब 21 साल की उम्र में पटौदी भारत टीम के कप्तान थे। क्रिकेट विशेषज्ञ के अनुसार उस वक्त देश का सबसे मुश्किल काम भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तानी करना था।

https://youtu.be/jtwmLVGpbYQ

बहुत ही अप्रिय हालात में उन्हें ये ज़िम्मेदारी दी गई.

'डेमोक्रेसीज़ इलेवनः द ग्रेट इंडियन क्रिकेट स्टोरी' लिखने वाले राजदीप सरदेसाई के अनुसार मार्च, 1962 को बारबडोस के साथ मैच में दुनिया के सबसे तेज़ गेंजबाज़ चार्ली ग्रिफ़िथ की गेंद भारतीय कप्तान नारी कॉन्ट्रैक्टर के सिर में लगने से वो धराशायी हो गए।

WhatsApp Group Join Now

तुरंत टीम के मैनेजर ग़ुलाम अहमद ने उपकप्तान पटौदी को सूचित किया कि अगले टेस्ट में वे भारतीय टीम की कप्तानी करेंगे। बस इस तरह पटौदी युग की शुरुआत हुई जिसने भारतीय क्रिकेट को नई परिभाषा दी।

पाटोदी का नाम टाइगर क्यों पड़ा:

चालीस और पचास के दशक में विजय मर्चेंट से लेकर विजय हज़ारे तक सभी भारतीय महान बल्लेबाज़ी तो बेहतरीन कर सकते थे, लेकिन फील्डिंग के मामले में हार मान लेते थे। उस वक्त पटौदी कवर पर खड़े होकर जिस तरह गेंद के पीछे कुलांचे भरते थे, लगता था कि एक चीता अपने शिकार का पीछा कर रहा हो। शायद इसी वजह से उनका नाम टाइगर पड़ा।

ये भी पढ़ें- IPL: पाकिस्तानी दौरा रद्द होने से बने रहेंगे आईपीएल में इंग्लैंड के खिलाड़ी,भारत के लिए खुशी की खबर

Tags

Share this story