CRPF जवान के बेटे का “टीम इंडिया” में चयन, पिता बोले पहले कोई नहीं अब सब जानते हैं
भारत भावनाओं का देश हैं, जहां कुछ कर दिखाने की ललक एकाग्रता से साथ-साथ भावुकता से भी आती हैं। क्रिकेट भी भारत के लोगों के लिए केवल एक खेल नहीं बल्कि भावना हैं और भावनाओं को लेकर अक्सर हम सभी भावुक होते हैं क्योंकि क्रिकेट से हमारी भावनाएँ जुड़ी होती हैं। साल 2020 में भारत की क्रिकेट टीम अंडर-19 विश्वकप के फ़ाइनल तक पहुँची थी, जिसने अहम भूमिका रवि बिशनोई की रही थी।
अब भारत ने बांग्लादेश को हराकर अंडर-19 विश्वकप के सेमीफाइनल में जगह पक्की की हैं। इस मुकाबले में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रवि कुमार ने शानदार गेंदबाजी की हैं। उन्होंने इस मैच में 7 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट झटक लिए थे। उनके इस प्रदर्शन की खुशी ओडिशा के नक्सल प्रभावी रायगढ़ जिले में स्थित सीआरपीएफ कैंप में भी मनाई गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रवि के पिता एएसआई राजिंदर सिंह इसी कैंप में तैनात हैं। हालांकि, 2 दिन पहले तक रवि के पिता को इस कैंप में बहुत कम लोग ही जानते थे। लेकिन बेटे के भारत को अंडर-19 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचाने के बाद उन्हें अब सब जानने लगे हैं।
रवि के पिता राजिंदर सिंह ने एक अख़बार से बातचीत में बताया, “आज पूरे सीआरपीएफ कैंप में सिर्फ मेरी और बेटे रवि की बात हो रही हैं। कल तक तो कोई मुझे यहां नहीं जानता था। आज सब जानते हैं, अब ‘रवि के पापा’ की पूरी यूनिट में चर्चा हो रही हैं। सभी साहब लोग भी मुझे पहचान रहे हैं और उन्होंने फोन करके बधाई भी दी। मेरे पास अपनी खुशी बयां करने के लिए शब्द नहीं है।
इस दिन तक पहुँचने के लिए रवि और उनके पिता की जोड़ी को कई बाधाओं को पार करना पड़ा था। इसमें पिता की आमदनी, मां की चिंता और लोगों के ताने सब शामिल कुछ जो हर भारतीय फ़ैमिली में होता हैं वो सहना पड़ा था। मां रवि के हर वक्त क्रिकेट खेलने को लेकर चिंता में रहती थीं।माँ चाहती थी कि रवि पढ़ाई पर ध्यान दें, लेकिन रवि को क्रिकेट का जुनून था और वो तमाम बातों से बेफ्रिक होकर, अक्सर मां से कहता था कि आप मुझे आज खेलने से रोक रही हैं, एक दिन ऐसा आएगा कि आप मुझे टीवी पर खेलते देखोगे और रवि की यह बात आज सच साबित हो गई हैं।
रवि के पिता राजिंदर सिंह को आज भी पुराना वक्त याद है, जब वो भी रवि के भविष्य को लेकर चिंता करते थे। उन्होंने कहा, “मेरे पास इतने पैसे और संसाधन नहीं थे कि मैं रवि के भारत के लिए खेलने के सपने को पूरा कर सकता। रवि का परिवार आम भारतीय परिवार की तरह ही है लेकिन, रवि की जिद और समपर्ण देखकर मैं भी कुछ ना कर सका और बेटे से सिर्फ यही कहा था, “अगर तुम में दम होगा तो भारत के लिए जरूर खेलोगे.”
रवि क्रिकेट के लिए 13 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश को छोड़कर बंगाल चले गए थे। फिर धीरे-धीरे रवि सेकेंड से फर्स्ट डिवीजन क्रिकेट में आए। हालांकि, यहां भी कई बार किस्मत ने उन्हें धोखा दिया था। लेकिन रवि डगमगाए नही एक बार भी अंडर-16 के कैंप से उन्हें बोन टेस्ट के आधार पर बाहर कर दिया गया था। उन्होंने लंबे वक्त तक पिता से यह बात छुपाए रखी थी। बहरहाल रवि बिशनोई ने काटो भरा सफ़र तय कर लिया है सब हम उनको बेहतर और सफलतम भविष्य के लिए बधाई देते हैं ।
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