Two captains theory: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ की तीन या दो फॉर्मेट के लिए अलग कप्तान चुने गए हो
जब अक्टूबर में होने वाले टी-20 विश्व कप के लिए टीम चुनी गई तब उसमें रवि शास्त्री के बतौर मुख्य कोच होते हुए भी महेंद्र सिंह धोनी का नाम मेंटर के रुप में आया। जाहिर है बीसीसीआई ने धोनी को बतौर मेंटर इसलिए टीम के साथ जोडा क्योंकि उसको कोहली पर विश्व कप जीत का भरोसा नहीं था।
दरअसल कोहली का बायलेट्रल सीरीज के हर फॉर्मेट में रिकॉर्ड अच्छा है लेकिन वे अब तक कोई आइसीसी ट्रॉफी अपनी कप्तानी में भारत को दिलवा नहीं सके है। उनकी कप्तानी में भारत 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी, 2019 का वन डे विश्व कप और 2021 का WTC फाइनल हार चूका है। जाहिर है बीसीसीआई को अब कोहली पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं रहा। धोनी चूंकी 2007 का टी-20 विश्व कप, 2011 का वन डे विश्व कप और 2013 की चैम्पियंस ट्रॉफी जीतवा चूके है इसलिए बतौर मेंटर जोडकर बीसीसीआई हर हाल में यह विश्व कप जीतना चाहती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जो मिटींग हुई उसमें सुना है तीनों फॉर्मेट के लिए अलग कप्तान रखने पर भी चर्चा हुई। और यह भी चर्चा हुई है की कोहली यदि इस बार यह विश्व कप नहीं जीत सके तो अगले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर रोहित शर्मा कप्तान बनाए जा सकते है।
पूर्व क्रिकेटर मदनलाल के अनुसार जब टीम के पास रोहित शर्मा जैसा कुशल कप्तानी विकल्प है तब क्यों नहीं कप्तानी का बंटवारा कर दिया जाता। उन्होंने भी यह माना की इससे विराट कोहली की बल्लेबाजी पर दबाव कम होंगा जिससे वे बडी और लम्बी पारियां खेल सकेंगे। दरअसल कोहली जब से कप्तान बने है वे एक आइसीसी ट्रॉफी भारत को नहीं दिलवा सके है। धोनी भी आइसीसी ट्रॉफिया हारे है लेकिन तीन आइसीसी ट्रॉफी उन्होंने भारत लाई भी है।
इंग्लैंड टीम दो कप्तानों से खेलती है। जो रुट टेस्ट कप्तान है और इयान मोर्गन छोटे फॉर्मेट के। टीम नं.1 ही है आइसीसी रेंकिंग में। मोर्गन ने तो 2019 विश्व कप भी इंग्लैंड को पहली बार जीत कर दिलवा दिया। रोटेशन पॉलिसी से भी खेलती है। इसलिए एक सफल टीम भी है।