Sri Lanka Crisis: इन 5 मुख्य कारणों से कंगाल हुआ श्रीलंका! भारत से ले चुका है इतने करोड़ का कर्जा

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका की दशा दिन पर दिन खराब होती जा रही है यूं कहना भी बुरा नहीं होगा कि ये देश कंगाल होता जा रहा है क्योंकि यहां पर जीवित रहने के लिए रोजमर्रा की चीजों पर रिकॉर्ड तोड़ महंगाई सवार है. साथ ही पेट्रोल और डीजल की भी भारी कमी है.
श्रीलंका (Inflation in Sri lanka) में महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है. इस कारण ही यहां पर चावल 500 रुपए किलो मिल रहा है और दूध 800 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है. इसके अलावा चीनी लगभग 300 रुपए किलो मिल रही है. सोचिए जरा आम आदमी इतनी महंगी चीजों को कैसे खरीद सकता है.
ये हैं वो 5 कारण
कोरोना की महामारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका देश की जीडीपी में पयर्टन का लगभग 10 प्रतिशत योगदान है. लेकिन कोरोना महामारी के चलते पयर्टन पूरी तरह से रुक गया और जिस कारण विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी होने लगी.
देश की सरकार का टैक्स पर फैसला
साल 2019 में राजपक्षे सरकार ने टैक्स कम कर दिया था, ताकि लोगों की खर्च क्षमता में इज़ाफा हो सके, लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि यह कदम सरकार के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ क्योंकि इससे राजस्व में भारी नुकसान होने लगा था.
भारी कर्जे में डूबा हुआ है श्रीलंका
आर्थिक संकट में मदद के लिए श्रीलंका ने अन्य देश के आग हाथ फैलाए, आपको जानकर हैरानी भी हो सकती है, कि श्रीलंका अब तक भारत से 19 हजार करोड़ रुपये कर्ज के तौर पर ले चुका है. इतना ही नहीं बल्कि शुक्रवार को दोबारा श्रीलंका ने भारत से कर्जे 11 हजार करोड़ रुपये की मांग की है. साथ ही श्री लंका ने चीन से भी हज़ारों करोड़ों का कर्ज लिया हुआ है.
देश के हालातों का ज़िम्मेदार कौन?
जब खाने के लिए खाना नहीं बचा और आवश्यक वस्तुओं की वाकई कमी होने लगी तो श्रीलंका के लोग मजबूर होकर प्रदर्शन के लिए सड़कों पर आ उतरे हैं. उनका मानना है कि आर्थिक संकट की वजह श्रीलंका की सरकार है और उनकी यह मांग है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे इस्तीफा दें. लोगों में लगातार बढ़ते आक्रोश को देखते हुए शनिवार को देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है.
कैसी है श्रीलंका की सरकार?
बता दें कि इस देश की सरकार में एक ही परिवार के सिर्फ सात लोग हैं. जी हां देश की सत्ता एक ऐसी सरकार के हाथों में हैं जो देश हित के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के लिए काम करती है. सरकार पर यह भी आरोप हैं कि हजारों-करोड़ों के कर्ज लेते-लेते यह आर्थिक संकट उभर गया है.
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