RBI report on agriculture 2025: जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहा है खेती पर संकट, महंगाई की बड़ी वजह बन रहा है मौसम

RBI report on agriculture 2025: भारत का कृषि क्षेत्र अब जलवायु परिवर्तन की मार से सीधे प्रभावित हो रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में भले ही इस बार खरीफ फसल उत्पादन अच्छा रहा हो और रबी बुआई भी बेहतर हुई हो, लेकिन बढ़ते अत्यधिक मौसमीय बदलाव (Extreme Weather Events) भारतीय कृषि को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं।
RBI की यह रिपोर्ट विभिन्न जिलों में बरसात के असमान वितरण का खरीफ फसलों पर प्रभाव बताती है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि किसी क्षेत्र में समय से कम या ज़्यादा वर्षा हो जाए, तो उसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है।
बारिश की मात्रा और समय—दोनों हैं अहम
रिपोर्ट में कहा गया है कि:
जून और जुलाई में कम बारिश से अनाज और दालों की उपज पर नकारात्मक असर पड़ता है।
वहीं अगस्त और सितंबर में अधिक बारिश तिलहन फसलों, खासकर सोयाबीन की पैदावार घटा देती है।
मक्का जैसी फसलें बारिश में थोड़े बदलाव से भी प्रभावित होती हैं, जबकि धान अपेक्षाकृत अधिक सहनशील माना गया है, क्योंकि इसकी सिंचाई व्यवस्था बेहतर होती है।
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि
हर 1% अधिक वर्षा से अरहर, मूंग और उड़द की उपज 0.33% तक बढ़ती है।
जबकि मक्का की पैदावार पर अत्यधिक वर्षा से 0.011% की गिरावट देखी जाती है।
जलवायु परिवर्तन से खाद्य महंगाई बढ़ी
पोट्सडैम क्लाइमेट रिसर्च इंस्टीट्यूट और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि आर्थिक संकट का रूप ले चुका है—खासकर विकासशील देशों के लिए।
RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और उनकी टीम ने अगस्त 2024 की RBI बुलेटिन में बताया कि भारत में खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) अब "स्थायी" रूप ले चुकी है। जलवायु से जुड़ी घटनाएं आपूर्ति शृंखला को बाधित कर रही हैं।
महंगाई के आंकड़े
2016 से 2020 के बीच औसत खाद्य महंगाई थी 2.9%
जबकि 2020 के बाद यह औसत 6.3% तक पहुंच गया है
नीति सुझाव: जलवायु-अनुकूल खेती की ज़रूरत
RBI की रिपोर्ट कहती है कि भारत को अब क्षेत्र-विशिष्ट और फसल-विशिष्ट जल प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत है। इनमें शामिल हैं:
फसल विविधिकरण (Crop Diversification)
बेहतर जल निकासी प्रणाली
ऐसी बुवाई तकनीकें जो जलभराव के जोखिम को कम करें
इसके अलावा, सरकार को चाहिए कि वह:
जलवायु-रोधी फसल किस्में विकसित करे
जल दक्ष सिंचाई तकनीक, वर्षा जल संचयन, और बीज बैंक की स्थापना में निवेश करे
किसानों के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए
फसल बीमा और मौसम पूर्वानुमान को बनाना होगा मजबूत
फसल बीमा कवरेज बढ़ाना
सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली लागू करना
फसल कटाई के बाद की बेहतर व्यवस्था—यह सभी उपाय खेती को आपदा-प्रभावित होने से बचा सकते हैं
खेती पर संकट, लेकिन समाधान भी संभव
जलवायु परिवर्तन की बढ़ती घटनाएं भारत की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका दोनों के लिए खतरा बन रही हैं। हालांकि, अगर नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, किसानों और वैश्विक सहयोगियों ने मिलकर काम किया, तो भारत जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि मॉडल विकसित कर सकता है और अपने कृषि भविष्य को सुरक्षित बना सकता है।