Corona Pandemic: इस वर्ष कोरोना के कारण कैसे निकलेगी जगन्नाथ रथ यात्रा? जानिए इसकी पौराणिक कथा
भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में स्थित है. इस मंदिर की महिमा विश्व भर में प्रख्यात है. यहां पर हर वर्ष आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन होता है. यह रथ यात्रा लगभग 10 दिन तक चलती है. इस रथ यात्रा का शास्त्रों के अनुसार अत्यंत महत्व है. पिछले कई वर्षों से जगन्नाथ पुरी में इस यात्रा का आयोजन रहा है. किंतु पिछले साल से कोरोना वायरस के कारण यह जगन्नाथ रथ यात्रा बाधित हो गई है.
पिछले साल 2020 में भी कोरोना वायरस और कुछ अन्य समस्याओं के चलते यह यात्रा नहीं हो पाई थी. उच्च न्यायालय ने भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी और कहा था कि यदि यह यात्रा हुई तो स्वयं भगवान जगन्नाथ हमसे रुष्ठ हो जाएंगे. किंतु इस बार इस महामारी के कारण कोविड 19 के प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए रथ यात्रा करने की अनुमति मिल गई है.
इस वर्ष यह रथ यात्रा मात्र पुरी में ही आयोजित की जाएगी, साथ ही इस यात्रा में केवल वहीं श्रद्धालु सम्मिलित हो सकेंगे जिनकी RTPCR रिपोर्ट निगेटिव होगी और वह कोविड के दोनों टीके लगवा चुके होंगे. इसके अलावा इस बार जगन्नाथ जी के रथ को खींचने के लिए मात्र 500 लोगों के लिए ही अनुमति मिलेगी. इस वर्ष यह यात्रा 12 जुलाई से शुरू होगी.
चलिए अब जानते हैं भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का एक बहुत बड़ा महत्व हैं. मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा को निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं जहां भगवान जगन्नाथ विश्राम करते हैं.
गुंडिचा माता मंदिर में भारी तैयारियां की जाती हैं और मंदिर की सफाई के लिये इंद्रद्युमन सरोवर से जल लाया जाता हैं. यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यही है कि यह पूरे भारत में एक पर्व की तरह मनाया जाता हैं. चार धाम में से एक धाम जगन्नाथ मंदिर को माना गया हैं, इसलिए जीवन में एक बार इस यात्रा में शामिल होने का शास्त्रों में भी उल्लेख हैं.
जगन्नाथ रथयात्रा में सबसे आगे भगवान बालभद्र का रथ रहता है, बीच में भगवान की बहन सुभद्रा का और उनके पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ रहता हैं. इस यात्रा में जो भी सच्चे भाव से शामिल होता हैं उसकी मनोकामना पूर्ण होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
यात्रा में शामिल होने वाले को मिलता हैं 100 यज्ञ बराबर पुण्य, भगवान जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का अवतार माना गया हैं. जिनकी महिमा का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी किया गया हैं. ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ रथयात्रा में भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ होता है. जो इस रथयात्रा में शामिल होकर रथ को खींचते हैं उन्हें 100 यज्ञ के बराबर पुण्य लाभ मिलता हैं.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है.