Mother's day special 2022: इन माताओं ने जन्मे थे देव तुल्य पराक्रमी बालक, जिनके आगे नहीं टिक पाए राक्षस
Mother's day special 2022: हर साल मई के प्रथम सप्ताह में मातृ दिवस मनाया जाता है. इस दिन विशेषकर माताओं को उनकी संतानें धन्यवाद देती हैं, हर उस प्यार, समर्थन, त्याग और सहयोग के लिए.
जो माताएं अपनी संतान के लिए करती हैं. हालंकि ये दिवस मानने की शुरुआत विदेशों से हुई, लेकिन भारत में भी ये दिवस बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है.
ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के आधार पर, उन माताओं के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने देव तुल्य और पराक्रमी बालकों को जन्म दिया था.
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जिनके बालकों ने तीनों लोकों में अपनी विजय का पताका फहराया. साथ ही बड़े बड़े राक्षसों का अंत किया. तो चलिए जानते हैं हिंदू धर्म के उन महान बालकों और उनकी माताओं के बारे में…
माता पार्वती और गणेश जी
भगवान गणेश जिन्हें हिंदू धर्म में प्रथम देव के तौर पर पूजा जाता है. उनकी माता का नाम पार्वती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने गणेश जी को अपने मैल से उत्पन्न किया था, और गणेश जी माता पार्वती को काफी प्रिय थे.
हिंदू धर्म में माता पार्वती और गणेश जी कई सारी कहानियां प्रचलित हैं. भगवान गणेश ने कई सारे अवतार लेकर अनेक राक्षसों का वध किया है. जिस कारण ये हिंदू धर्म के प्रमुख देवों में से एक हैं.
श्री कृष्ण और यशोदा व देवकी
भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण का जन्म देवकी माता की कोख से हुआ था. भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था. जिन्होंने बचपन में ही अपने मामा कंस के भेजे हुए कई सारे खतरनाक राक्षसों का वध कर दिया था.
हालांकि श्री कृष्ण का लालन पालन माता यशोदा ने किया था. जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण को बड़े लाड़ प्यार से बड़ा किया. भगवान श्री कृष्ण ने कंस समेत अनेक बड़े बड़े राक्षसों का वध किया था, और आज भी अपनी लीलाओं से अपने भक्तों का मन मोह लेते हैं.
श्री राम और कौशल्या व कैकयी
भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम ने त्रेतायुग में जन्म लिया था. श्री राम राजा दशरथ के सबसे बड़े बेटे थे, जिनकी माता का नाम कौशल्या था. श्री राम को उनके गुणों के चलते मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है.
श्री राम की दूसरी माता यानि राजा दशरथ की दूसरी पत्नी कैकयी ने श्री राम को भले ही वनवास दे दिया हो, लेकिन वह सबसे अधिक प्रेम श्री राम से ही किया करती थी. श्री राम ने लंका नरेश रावण का वध करके एक सभ्य और सुंदर देश का निर्माण किया था.
भीष्म और गंगा माता
महाभारत काल में जन्मे भीष्म तेजस्वी, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर और पराक्रमी थे. जिन्होंने हस्तिनापुर साम्राज्य की सीमाओं को सारे भारतवर्ष में फैला दिया था. इन्होंने परशुराम से अस्त्र और शस्त्र की शिक्षा पाई थी. भीष्म माता गंगा के 8 पुत्रों में सबसे अनुज थे.
जिन्हें माता गंगा ने महाभारत काल में इसलिए जन्म दिया, ताकि वह उनके पिछले जन्म के पाप को मिटा सके. माता गंगा अपने इस पुत्र को राजा शांतनु को सौंपकर चली गई थी, और इन्होंने ही अर्जुन को भीष्म को मारने के चलते श्राप दिया था.
वेदव्यास और सत्यवती
महाभारत काल में राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती को विवाह से पहले एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी. जिसे ऋषि के आशीर्वाद से उत्पन्न किया गया था. जिनको हम वेदव्यास के नाम से जानते हैं.
ऋषि वेदव्यास महाभारत के रचयिता है. जिन्होंने ही माता सत्यवती के कहेनुसार, पांडू, धृतराष्ट्र और विदुर को दिव्य शक्तियों के माध्यम से उत्पन्न किया था. ऋषि वेदव्यास हिंदू धर्म के महान ऋषियों और गुरुओं में से एक माने गए हैं.
भरत और शकुंतला
दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत का नाम तो आप सबने सुना ही होगा. भरत ही वह बालक थे, जिनके नाम पर सम्पूर्ण भारत वर्ष का नाम पड़ा है. भरत अत्यंत बहादुर और पराक्रमी बालक थे,
जोकि अपने बचपन में शेर के बच्चों के साथ खेला करते थे. भरत एक महान राजा भी थे, जिन्होंने समाज में सदैव ईमानदारी और सच्चाई का साथ दिया.
अभिमन्यु और सुभद्रा
अर्जुन और सुभद्रा का बेटा अभिमन्यु भले ही महाभारत युद्ध में मार दिया गया हो. लेकिन अभिमन्यु ने जन्म लेकर बड़े बड़े शुरवीरों की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था. अभिमन्यु श्री कृष्ण के चहेते थे,
यही कारण है कि श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को हर विद्या से परिचित कराया था. अभिमन्यु पर चंद्र देव की विशेष कृपा थी, यही कारण है कि अभिमन्यु को महाभारत काल के महान योद्धाओं में से एक माना जाता है.
पांडव और रानी कुंती
महाभारत काल में ही जन्मे पांडव भाइयों से आप सभी परिचित होंगे. माता कुंती ने इन सभी पांडवों को देवताओं का आह्वान करके जन्म दिया था. पांचों पांडव भाई महान योद्धा और बालक थे,
जिन्हें माता कुंती ने जन्म दिया था. पांचों पांडव धरती पर त्याग, तपस्या, समर्पण और प्रेम की मूर्त थे, जिनका जीवन चरित्र आज भी भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
हनुमान जी और माता अंजनी
बजरंगबली को जन्म देने वाली महिला का नाम था माता अंजनी. माता अंजनी ने बाल हनुमान को बहुत प्रेम से पाला था. और हनुमान जी ने स्वयं सूर्य देव से सारी विद्याएं सीखी थी.
जिस कारण इन्होंने अपने जीवन काल में कई सारे राक्षसों का वध किया था. साथ ही इन्होंने जीवन भर भगवान श्री राम की भक्ति की, और इन्हें आज कलियुग के देवता के तौर पर पूजा जाता है.
कर्ण और माता कुंती
पांडव भाइयों के आला माता कुंती ने सूर्य देव का आह्वान करके कर्ण को जन्म दिया था. कर्ण एक बलशाली, महान शूरवीर और धनुर्धर था. जिसने कौरवों से दोस्ती की, लेकिन वह दोस्ती, त्याग और बलिदान की असीम मूर्त के तौर आज भी प्रसिद्ध है. और जिसका नाम भारतीय इतिहास में युगों युगों तक लिया जायेगा.