Vishwakarma jayanti 2023: ''देवी-देवताओं में इंजीनियर'' विश्वकर्मा जी ने बनाए हैं अनेक मंदिर, जानें कहां है स्थित? 

 
Vishwakarma puja 2023

Vishwakarma jayanti 2023: हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के देवी-देवताओं की समय-समय पर उपासना की जाती हैं. इसी तरह से देवी-देवताओं में अभियंता (इंजीनियर) विश्वकर्मा जी की जयंती (vishwakarma jayanti 2023) भी हर साल मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा जी को धरती का सबसे पहला शिल्पकार कहा गया है.

विश्वकर्मा जी ने अनेक भवन और महलों का निर्माण किया है. हर साल उनकी जयंती भाद्रपद (bhadrapad) के महीने में मनाई जाती है. विश्वकर्मा जी की जयंती साल 2023 में 17 सितंबर को मनाई जाएगी.

विश्वकर्मा जयंती वाले दिन कल कारखानों में अस्त्र-शस्त्र की पूजा होती है. ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से विश्वकर्मा जी कौन है और उनके द्वारा निर्मित भवनों के बारे में बताएंगे, तो चलिए जानते हैं...

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कौन है विश्वकर्मा जी? 

धार्मिक स्रोतों के मुताबिक विश्वकर्मा जी (Vishwakarma dev) की माता का नाम अंगिरसी और पिता का नाम वास्तुदेव है. वास्तुदेव धर्म के पुत्र थे और धर्म साक्षात् ब्रह्मा जी के पुत्र थे. विष्णु पुराण में वर्णित है कि विश्वकर्मा जी का जन्म उस दौरान हुआ था जब भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी कमल पर बैठकर अवतरित हुए थे. विश्वकर्मा जी ही वह देवता है, जिन्होंने धरती को आकार दिया.

इसके साथ ही विश्वकर्मा जी के 5 अवतार विराट विश्वकर्मा, धर्मवंशी विश्वकर्मा, अंगिरा वंशी विश्वकर्मा, सुधन्वा विश्वकर्मा और भृगुवंशी विश्वकर्मा जिनके बारे में भी धर्म शास्त्रों में उल्लेख मिलता है. वर्तमान समय में विश्वकर्मा जाति के लोगों को विश्वकर्मा जी का ही आ जाता है, जो लोग शिल्पकार, काष्ठ कला और लौह कर्म किया करते हैं.

विश्वकर्मा जी ने क्या बनाया? 

आपने अक्सर मंदिरों में खड़ाऊ रखे देखे होंगे, इन खड़ाऊ को पहनकर जल पर आसानी से चला जा सकता है, इस तकनीक का निर्माण विश्वकर्मा जी ने किया था. विश्वकर्मा जी ने भगवान इंद्र की इंद्रपुरी, भगवान शिव के अनेक त्रिशूल, पांडवों की नगरी इंद्रप्रस्थ, भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, रावण की लंका नगरी, यमराज के काल दंड, भगवान विष्णु का चक्र, रावण का पुष्पक विमान, भीष्म की नगरी हस्तिनापुर, सुदामापुरी और स्वर्ग लोक जैसे महान राज्यों और राज महलों का निर्माण किया.

आधुनिक समय में बिहार (Bihar) राज्य के औरंगाबाद जिले में विश्वकर्मा जी द्वारा बनाया गया सूर्य मंदिर (Surya mandir) स्थित है. कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा जी ने एक ही रात में कर दिया था. इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की तरफ है, जहां सूर्य देव को सात रथों पर सवार दिखाया गया है.

विश्वकर्मा जी द्वारा बनाए गए इस मंदिर में वास्तु कला और स्थापत्य का अद्भुत मेल देखने को मिलता है. यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा बनाया गया है, जिसके निर्माण में काले और भूरे रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. विश्वकर्मा जी ने माता पार्वती (Mata parvati) के कहने पर ही सोने की लंका बनवाई थी, जिसे रावण ने भगवान शिव (Lord shiva) से वरदान स्वरुप मांग लिया था.

शिवजी के अनेक वाहनों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी के द्वारा ही किया गया है. विश्वकर्मा जी ने विष्णु जी के कहने पर छत्तीसगढ़ में राजीव लोचन मंदिर का निर्माण किया, इस मंदिर के पांच कोस तक की दूरी पर कोई भी शव नहीं जलाया जाता.

भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी का निर्माण भी विश्वकर्मा जी ने कराया और वहां स्थित गोपी तालाब भी श्री कृष्ण ने ही विश्वकर्मा जी से बनवाया था. ऐसी मान्यता है कि झारखंड स्थित वासुदेवकोना शिव मंदिर का निर्माण भी विश्वकर्मा जी द्वारा ही किया गया था.

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