KANHAIYA kUMAR: अब ऐसा लड़का कांग्रेस में नहीं जायेगा तो किधर जायेगा..?
प्रियांशु लिखता है कि, मीडिया का डार्लिंग लड़का, चार्मिंग कॉमरेड, जाति से भूमिहार लेकिन अंबेडकर की बातें करने वाला। भाषणों में भगत सिंह, आजाद, गांधी और असफाकुल्लाह खान को पेश करता है, सीपीएम में होकर भी नेहरु को डिफेंड करता है, अब ऐसा लड़का कांग्रेस में नहीं जायेगा तो किधर जायेगा..?
भारतीय राजनीति के हॉट सीट पर कन्हैया जैसों की जरूरत है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए राहुल के हांथ जीतने लंबे होंगे हिटलर-शाही को उतनी ही बारीकी से पटका जाएगा.
पियूष मिश्रा के "आरंभ है प्रचंड" को बैकग्राऊंड में बजाकर इस तस्वीर को देखिए। अब अहंकारी सत्ता के तिलिस्म को तोड़ने की बारी है, 2024 की बारी है। जिग्नेश और कन्हैया ने नई ताकत के साथ नए अवसर को जन्म दिया है जिसे पूरी ऊर्जा के साथ स्वीकारने की बारी लाखों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की है।
बिहार में राजद को देंगे चुनौती:
बिहार के एम-वाई समीकरण को जिस हद्द तक ओवैसी से नुकसान है उससे कई ज्यादा घातक यादव है। कन्हैया बड़का जात का है, संघी है, वो कांग्रेस के रास्ते भाजपा में जायेगा। जाने दीजिए… आप कौन सा तीर मार लिए है?
आंकड़े गवाह है, 2020 विधानसभा चुनाव में ज्यादातर सीटों पर जहां राजद ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, यादवों ने भाजपा और जदयू को वोट दिया। बिस्फी से फैयाज अहमद हारे, ढाका से फैसल रहमान हारे, केवटी से अब्दुल बारी सिद्दीकी हारे, गौड़ाबोरम से अफ़ज़ल अली खान हारे। सुरसंड में राजद के सैयद अबू दोजाना के सामने जदयू के दिलीप राय जीते, सुपौल में कांग्रेस के मिन्नुतुलाह रहमानी के सामने जदयू के बिजेंद्र यादव जीत गए।
ये वो सीटें है जहां की आबादी में 35 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा मुसलमानों का है, यादव जोड़कर 40 प्रतिशत से ऊपर हो जाता, चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त संख्या थी, जिसे सेफ सीट कहते है।
फिर क्यों हार गए..? इसपर कभी मंथन किया.? नहीं करेंगे। हां, कन्हैया संघी है, महत्वाकांक्षी है, बिहार में तेजस्वी को लीडर नहीं मानेगा, महागठबंधन में राजद के वर्चस्व को नहीं चलने देगा, कांग्रेस को मजबूत कर देगा…!
दिस-दैट करते रहिए, उसने राहुल को अपना नेता मान लिया है।