Muzaffarnagar: हिंदुस्तान की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था जमीयत उलेमा ए हिन्द चलाएगी मिशन एजुकेशन मुहीम

Muzaffarnagar: हिंदुस्तान की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था जमीयत उलेमा ए हिन्द अशिक्षित बच्चो के लिए दिनी और दुनियावी तालीम देने के लिए एक मुहीम शुरू कर रही है। इस विशेष अभियान को जारी रखने के लिए जमीयत उलेमा ए हिन्द ने पूरा खाका तैयार कर लिया है। जिसके लिए जमीयत उलेमा ए हिन्द के कार्यकर्ता हिंदुस्तान के गांव गांव और शहर शहर के गली मोहल्लो में अपनी टीम के साथ सर्वे करेंगे। और सर्वे के बाद सभी अशिक्षित बच्ची और बच्चो को धार्मिक शिक्षा के साथ साथ मॉर्डन एजुकेशन के तहत शिक्षित बनाएंगे। इस मुहीम का आरम्भ आज मुज़फ्फरनगर के मदरसा महमूदिया से हुई जहा जमीयत उलेमा ए हिन्द के सैकड़ो कार्यकर्ता और सैकड़ो मदरसो के मौलानाओ ने एक बैठक कर हिंदुस्तान के में रहने वाले सर्व समाज के बाचो को धार्मिक और दुनियावी तालीम देने का जिम्मा उठाया। जमीयत उलेमा ए हिन्द ने इस्लाम धरम को मानने वालो से कहा है की वो लोग शादी और अन्य कार्यक्रम में फिजूल खर्ची बंद करे और जरूरतमंद बच्चो को शिक्षित करने में अपना योगदान दे।
केंद्र सरकार के साथ साथ भारत के सभी राज्य सरकार भले ही बच्चो को शिक्षित करने के लिए समय समय पर शिक्षा जागरूकता अभियान चला रही हो लेकिन भारत की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था जमीयत उलेमा ए हिन्द मानती है की अभी भी मुल्क में आज भी एक बड़ी संख्या अशिक्षित बच्चो की है। जिसकी वजह से मुल्क तरक्की नहीं कर पा रहा है। समाज का एक बड़ा तबका जो गरीबी के चलते शिक्षित नहीं हो पा रहा है ऐसे में जरुरत है की उन्हें भी समाज की उन विशेष धाराओं से जोड़ा जाये। जिससे वो शिक्षित होकर देश की तरक्की में अपना योगदान दे। मिशन एजुकेशन को लेकर आज मुज़फ्फरनगर के मदरसा महमूदिया में जमीयत उलेमा ए हिन्द द्वारा एक अहम् बैठक की गयी।
जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष मुफ्ति बिन्यामिन साहब व संचालन ज़िला महासचिव कारी ज़ाकिर हुसैन क़ासमी ने किया । मुख्य अतथि के तोर पर पहुंचे जमियत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव हज़रत मोलाना हकीमुद्दीन कासमी व जमियत उलमा शिक्षा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव हज़रत मुफ्ति सलमान साहब मन्सूरपुरी उस्ताद हदीस दारुल उलूम देवबंद ने मीटिंग मे शिक्षा के सम्बन्ध मे विस्तार से चर्चा की वक्ताओं ने शिक्षा की अहमियत को समझाते हुए कहा की बिना शिक्षा के किसी भी समाज का पूर्ण विकास सम्भव नहीं है। अशिक्षित व्यक्ति समाज में जीवन भर अहसास ए कमतरी के साथ जीता है।
उन्होने मुस्लिम समाज से अहवान किया कि अभिभावक अपने प्रत्येक बच्चे और बच्ची को शिक्षित करने का प्रण करें। उसके लिए अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक गैर ज़रूरी कामों में होने वाले खर्च को नियंत्रित कर उस धन को अपने बच्चे और बच्चियों की शिक्षा पर खर्च करें। जो आर्थिक रूप से अधिक मज़बूत लोग हैं वो अपने समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के बच्चो की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाए। साथ ही अपने नैतिक मूल्यों और अपनी पहचान को बरकरार रखने के लिए धार्मिक शिक्षा को आवश्यक समझे जिससे कि हमारे अंदर देश प्रेम, मानव सेवा और समाज सेवा की भावना बनी रहे। अपने नैतिक मूल्यों से जुड़े रहने के लिए सभी स्कूली छात्रों को अलग से 1 घंटा प्रतिदिन धार्मिक शिक्षा ग्रहण करना सुनिश्चित करें। उसके लिए जमीयत उल्मा धार्मिक शिक्षा बोर्ड के द्वारा जो प्रबन्ध किए गए हैं उनका खुद भी हिस्सा बने और अपने बच्चों को उसका हिस्सा बनाना सुनिश्चित करें।