UP Police भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा, सॉल्वर गैंग की मदद से दरोगा बने 7 अभ्यर्थी
UP Police: 2020-21 में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा सब-इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और अग्निशमन अधिकारी के पदों के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की गई थी। 2023 में फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन के दौरान यह सामने आया कि सात अभ्यर्थियों ने सॉल्वर गैंग की मदद से परीक्षा पास की थी। फिंगरप्रिंट ब्यूरो की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों के फिंगरप्रिंट और फिजिकल टेस्ट के फिंगरप्रिंट मेल नहीं खाते।
कैसे किया गया फर्जीवाड़ा?
सॉल्वर गैंग ने अभ्यर्थियों की जगह डमी कैंडिडेट्स को परीक्षा देने के लिए भेजा।
मेरठ, आगरा, लखनऊ और अन्य जिलों में अलग-अलग परीक्षा केंद्रों पर यह धांधली की गई।
सॉल्वर गैंग के जरिए परीक्षा पास करने वालों में दो महिला अभ्यर्थी भी शामिल थीं।
आरोपियों की पहचान और एफआईआर
भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े के आरोप में जिन सात अभ्यर्थियों पर एफआईआर दर्ज की गई है, वे हैं:
गौरव कुमार (अलीगढ़)
कुमारी मालती (एटा)
निर्भय सिंह जादौन (बुलंदशहर)
रोहित कुमार (मेरठ)
कुमारी ज्योति (आगरा)
घनश्याम जयसवाल (गोरखपुर)
सुधीर कुमार गुप्ता (महराजगंज)
कौन से केंद्रों पर हुई गड़बड़ी?
लखनऊ (जानकीपुरम और गुड़ंबा)
आगरा (सिकंदरा और हाथरस रोड)
अन्य जिलों के परीक्षा केंद्र
पुलिस की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोन्नति एवं भर्ती बोर्ड ने हुसैनगंज थाने में सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। साथ ही, सॉल्वर गैंग के अन्य सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए पुलिस जांच में जुटी है।
प्रक्रिया की शुचिता पर सवाल
इस फर्जीवाड़े ने यूपी पुलिस भर्ती प्रक्रिया की शुचिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच जारी है, और पुलिस भर्ती में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
यह मामला न केवल भर्ती प्रक्रिया की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे सिस्टम को दुरुस्त करने की आवश्यकता है।