Chanakya Niti: चाणक्य से जानें! कैसे करें धन, धर्म और परिवार की रक्षा?

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य द्वारा नीतिशास्त्र में कई सारी ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करने पर व्यक्ति को अवश्य ही अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. आचार्य चाणक्य की बातें हर व्यक्ति के जीवन में सफल सिद्ध होती हैं. यही कारण है कि आज भी व्यक्ति चाणक्य द्वारा बताई गई बातों का अनुसरण करता है. ऐसे में चाणक्य नीति के अनुसार, एक व्यक्ति कैसे अपने धर्म, धन और परिवार की रक्षा कर सकता है? तो चलिए इस बारे में जान लेते हैं.
चाणक्य के मुताबिक धन, धर्म और परिवार को कैसे बचाएं?
आचार्य चाणक्य के उपरोक्त श्लोक में यह बताया गया है कि व्यक्ति अपने धर्म, धन और परिवार की सुरक्षा कैसे कर सकता है.
वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम्॥
उपरोक्त श्लोक के अनुसार, धर्म की रक्षा धन से, विद्या की रक्षा प्रयास से, राज्य की रक्षा कोमल व्यवहार से और घर-परिवार की सुरक्षा एक गुणवान स्त्री से होती है. कहने का तात्पर्य है कि यदि आप अपना धन अच्छे कार्यों में लगाते हैं, जैसे यदि आप अपना धन दान-दक्षिणा में खर्च करते हैं, तो ऐसा करने से आपके धन का भी सदुपयोग होता है और आपका धर्म भी बच जाता है.
इसी तरह से चाणक्य के अनुसार एक गुणवान और संस्कारवान स्त्री ही किसी परिवार का रक्षण कर सकती हैं. इस तरह की स्त्री के होने पर परिवार स्वर्ग से सुंदर बन जाता है और आने वाली पीढ़ियों को अच्छे संस्कार प्राप्त होते हैं. इसी तरह से यदि व्यक्ति अपने धन को बचाना चाहता है, तो उसे अपनी विद्या का सही इस्तेमाल करना चाहिए.
आपको अपनी शिक्षा का प्रयोग अच्छे कार्यों को करने में करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप ही आप अपना धन बचा सकते हैं और ठीक तरह से कमा भी सकते हैं. इसी श्लोक में यह भी बताया गया है कि एक राजा अगर अपनी प्रजा से विनम्र व्यवहार करता है, तब वह अपने राज्य को ठीक तरह से चलाने में सफल हो पाता है.
इस प्रकार धर्म को धन का सदुपयोग करके और धन को विद्या का सदुपयोग करके सुरक्षित रखा जा सकता है, दूसरी तरफ से किसी भी परिवार की सुरक्षा का दायित्व पूर्ण रूप से संस्कारित स्त्री पर होता है, जिसके आधार पर ही एक परिवार फलता-फूलता है.
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