भगवान श्री कृष्ण के दीवाने क्यों होते हैं विदेशी लोग?
ज्यादातर विदेशी लोग भगवान श्री कृष्ण के ही भक्त होते हैं. यह जानने के लिए अनेक लोग उत्सुक होंगे. कोई भी विदेशी व्यक्ति खासतौर पर किसी देवता राम या कृष्ण से नहीं जुड़ता है. उन्हें भारत के संतों द्वारा ही प्रभावित किया जाता है. इसी प्रकार विदेशी लोगों को भी कृष्ण के प्रति संतों ने ही जागरूक किया है. आइए जानते हैं कब और कैसे…
संतो द्वारा गीता का प्रचार
विभिन्न देशों के लोग भगवान श्री कृष्ण के ही भक्त होते हैं. क्योंकि संतो ने वहां गीता का अधिक प्रचार-प्रसार किया है. विदेशों में जाकर भारत के संतो द्वारा गीता पर प्रवचन दिए गए हैं. आजकल लोगों के पास समय का अभाव रहता है. इसीलिए संतों ने रामकथा बड़ी होने के कारण कृष्ण पर आधारित गीता के गुणों का वर्णन किया हैं. महापुराण भगवत गीता के कारण ही भगवान श्री कृष्ण को विदेश में पूजा जाता है.
आंदोलन एवं संगठन
'इस्कॉन' मंदिर दूसरा सबसे बड़ा कारण है. इस्कान का बहुत बड़ा आंदोलन और संगठन है. इस्कान का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकंशसनेस है. इस्कान संगठन का सबसे बड़ा मंत्र 'हरे रामा-हरे रामा, राम राम हरे हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे' है. दुनिया भर के विदेशी इस मंत्र को जपते गाते हैं आपको न्यूयॉर्क, लंदन, मास्को, मथुरा, वृंदावन की सड़कों पर मिल जाएंगे. श्री मूर्ति श्री अभयचरणारविंदज् भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी. अब यह आंदोलन एक बहुत बड़ा 'कृष्ण समाज' बन चुका है. इस्कान का सबसे सुंदर और बड़ा मंदिर वृंदावन में स्थित है.
भगवान श्री कृष्ण
भगवान कृष्ण का अवतार पूर्ण अवतार माना जाता है, क्योंकि वह सोलह कलाओं में परंपरागत है. वहीं अगर राम के अवतार के बारे में जाना जाए, तो राम का अवतार पूर्ण अवतार नहीं है क्योंकि में 14 कलाओं में परंपरागत थे. भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तित्व इतना अदभुत है. जिसे देखकर ही व्यक्ति उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं. आज के लोग राम जैसा त्याग नहीं कर सकते हैं बल्कि वह कृष्ण जैसे जीवन जीने की इच्छा रखते हैं. यही कारण है कि विदेशों में भी लोग भगवान कृष्ण के भक्त पाए जाते हैं.
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