मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन ने कहा हमारे ऊपर आर्थिक संकट, सरकार से समस्याओं को निराकरण की मांग 


 

 
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देश की आर्थिक स्थिति को हमेशा मजबूत करने और खाद्यान्न की स्थिति को सुधारने व सुचारू रूप से चलन में रखने के लिए सबसे मजबूत अगर कोई आधार है तो वह कृषि है। भारत को कृषि प्रधान देश भी कहा जाताए लेकिन वर्तमान स्थित और आने वाला भविष्य भारत के कृषकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। विगत 36 वर्षों से भारतीय किसान यूनियन इस भारतीय स्तम्भ और वर्तमान व भविष्य में सरकार की विसंगत नीतियों का दंश झेल रहे कृषकों की आवाज को समय समय पर धरना प्रदर्शन व आन्दोलन के माध्यम से सरकार के दरवाजे तक दस्तक देने का काम कर रहा है। किसान परिवारों पर आर्थिक संकट की स्थिति में पालन पोषण करना मील का पत्थर साबित हो रहा है। फसलों के भाव न मिलना बच्चों की शिक्षा पर भारी प्रभाव डाल रहे हैं। देश व प्रदेश का यह कृषक अन्नदाता निम्नांकित अपने अधिकारों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता है।

1. उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों से सिंचाई की मुफ्त बिजली का वायदा किया जिसकी घोषणा बजट पेश करते हुए भी की गयी लेकिन अभी तक किसानों को सिंचाई की मुफ्त बिजली उपलब्ध नहीं करायी गयी।

2. प्रदेश सरकार निज़ी नलकूपों से मीटर लगवाने की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोके और पूर्व में निजी नलकूप का कनेक्शन लेने पर 300 मीटर विद्युत लाईन विभाग की ओर से किसान को मिलती थी। इसे दोबारा से लागू किया जाए।

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३. गन्ने के पेराई सत्र को शुरू हुए 2 माह से भी अधिक का समय हो गया हैए लेकिन गन्ने का भाव घोषित नहीं किया गया। जबकि पिछले चार वर्षों में मात्र 25 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाकर किसानों को और गरीब बनाने का काम किया गया। गन्ने की खेती पर बढ़ते हुए खर्च को देखते हुए प्रदेश "सरकार 500 रूपये प्रति कुन्तल गन्ने का भाव घोषित करें। गन्ने के भुगतान को डिजीटल प्रणाली भुगतान से आने वाले पेराई सत्र 2023.24 में जोड़ा जाए।

4 प्रदेश की कई चीनी मिलों पर आज भी करोड़ों रूपये का गन्ना भुगतान बाकी है जिसे लेकर किसान मिल परिसर में लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का बकाया भुगतान जल्द से जल्द कराया जाए।

@bkutikaitमें रोबसे विकराल समस्या किरजनों के सामने छुट्टा पशुओं को लेकर है। सरकार पंचायत कार पर सरकारी परती की जमीनों पर पशुशालाए बनाए लाकि किसानों को जानमाल की सुरक्षा मी हो सके। खेती के ब

इएमएसपी गारटी कानून बनाने के के मामले में केंद्र सरकार पहल करे और कानून को अमलीजामा पहनाया जाए। देश में अलग से एक किसान आयोग का गठन किया जाए। फसलों के उचित लाभकारी मूल्य के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट और C2+50 के फार्मूले को लागू किया जाए।

7 एनजीटी के नियमों में किसानों के लिए ढील देने का काम किया जाए। कृषि में काम आने वाले यंत्रों व साधना को लेकर विशेष योजना के अंतर्गत समय सीमा में छूट देने का प्रावधान किया जाए और कृषि में उपयोग होने वाले यंत्रों व वस्तुओं को जीएसटी मुक्त किया जाए।

8. फसलों की बुवाई के समय उर्वरक केन्द्रों पर पूर्ण मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराया जाए। जिससे किसानों को असुविधा का सामना न करना पड़े। विकसित देशों की तरह खाद बीज व कीटनाशक के क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में किसानों के नाम पर उद्योगों को दी जा रही सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए

9.देश में भूमि अधिग्रहण की नीति को किसानों के अनुकूल बनाया जाए। गांवों के उजड़ने की कीमत पर उन सभी ग्रामीणों के उत्थान के लिए विशेष योजना बनें साथ ही बाजार भाव से जमीनों के मुआवजे के भुगतान की व्यवस्था की जाए।

10. लखीमपुर कांड के दोषी को कड़ी सजा दी जाए और मंत्री को बर्खास्त किया जाए। इसके अलावा किसानों से संबंधित मुकदमों का समय सीमा के भीतर निस्तारण करने की व्यवस्था की जाए। 11. देश व प्रदेश में सुखे व बाढ़ की चपेट में आए जनपदों का मैदानी सर्वे किया जाए और किसानों की नष्ट हुई फसलों का तत्काल प्रभाव से मुआवजा दिया जाए और सभी किसानों के बिजली बिल माफ किये जायें और साथ साथ सरकारी देय सहित बैंको
के ऋण भी माफ किए जायें। 

12.हम सभी प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि बीज के अधिकार को बड़ी कम्पनियों को न दिया जाए और न ही किसी बाहरी देश की कम्पनी से समझौता किया जाए।

13. जीएम मस्टर्ड (सरसों) को देश में पूर्णतः प्रतिबन्धित किया जाएए क्योंकि यह मानव जीवन सहित पर्यावरण के लिए खतरनाक परिणाम लेकर जाएगी। इसके फील्ड ट्रायल को भी तत्काल प्रभाव से - रोका जाए।

14. भारत सरकार बीज संरक्षण के लिए सार्वजनिक ट्रेनिंग सेन्टर खोले और वहां पर किसानों को बीजों के बारे में बताया जाएए क्योंकि स्वदेशी बीज को इससे बढ़ावा मिलेगा और जैव विविधता के अनुसार अनुकूल उत्पादन भी होगा।।


 

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