Janmashtami 2022: इस जन्माष्टमी घर बैठे कीजिए भगवान श्री कृष्ण के अनोखे मंदिरों के दर्शन, दूर हो जाएंगी सारी चिंताएं और परेशानियां
Janmashtami 2022: सर्वजगत में वंशीधर, गोपाल, कान्हा, मोहन, ग्वाला, बांके बिहारी इत्यादि नामों से पुकारे जाने वाले भगवान श्री कृष्ण सबके प्रिय है. प्रेम की असाधारण परिभाषा व्यक्त करने वाले कृष्ण जी की पूरी दुनिया दीवानी है. वासुदेव और देवकी के पुत्र कान्हा जी गोकुल में यशोदा तथा नंदबाबा के घर पले बढ़े.
भगवान श्री कृष्ण त्रिदेवों में से एक विष्णु जी के अवतार है. यही कारण है कि उनकी पूरा अर्चना विशेष रूप से की काफी है. गोकुल तथा वृंदावन में अपना बचपन व्यतीत करने वाले कृष्ण कन्हैया के पुराणिक इन जगहों पर स्थापित हैं. इतना ही भारत में उत्तर प्रदेश की मथुरा भूमि तो उनकी जन्म स्थली इसलिए वहां उनका जन्मस्थान मंदिर स्थापित है.
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इसके अतिरिक्त भारत के अधिकतर राज्यों में भगवान श्री कृष्ण के प्राचीनतम मंदिर स्थापित है. जहां जन्माष्टमी के दिन एक अलग ही उमंग तथा उत्साह बिखरता है. तो क्यों इन इस बार श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव इन प्राचीनतम मंदिरों में से किसी एक में मनाते हैं. आइए जानते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में.
श्रीकृष्ण जन्मस्थली मथुरा, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में श्री कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध श्रीकृष्ण जन्मस्थली स्थापित है. दरअसल, मथुरा में राजा कंस जो कि श्री कृष्ण के मामा थे, उनका कारावास स्थापित था. राजा कंस ने एक भविष्यवाणी के चलते अपनी बहन तथा बहनोई को इस करावास में डाल दिया. जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म देवकी माता के कोख से हुआ. यह मंदिर सुरक्षा कर्मियों से सदा घिरा रहता है. इसे आकर्षक बनाने के लिए इसके प्रवेश द्वार के बाद एक कृत्रिम गुफा भी बनाई गई है. यहां की आरती का समय आपको श्री कृष्ण के चरण कमलों में ले जाएगा.
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन, उत्तर प्रदेश
श्री कृष्ण का हर एक भक्त यह कथा अवश्य जानता होगा कि जब भगवान श्री कृष्ण ने कारावास में जन्म लिए तब तत्काल ही राजा के कंस के डर से वासुदेव जी बाल कृष्ण जी को देवकी के घर छोड़ आए थे. ऐसे में उनका पूरा बचपन गोकुल और वृदांवन की गलियों में व्यतीत हुआ है. जिसके चलते इस स्थान पर तो श्री कृष्ण के कई अनोखे मंदिर हैं, लेकिन सर्वमान्य तथा सर्वप्रिय है बांके बिहारी मंदिर. जो कि भारत के सबसे प्रचीनतम मंदिरों में से एक है. यहां की मंगला आरती लोगों की मंत्रमुग्ध कर देती है.
चारों धामों में से एक द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
जब श्री कृष्ण गोकुल, वृंदावन तथा मथुरा को छोड़कर गुजरात चले गए. तब उन्होंने वहां एक द्वारिका नगरी की स्थापना की. जो कि भारत के पवित्र चारों धामों का एक पश्चिमी हिस्सा है. द्वारिका नगरी में विभिन्न मंदिर स्थल हैं. श्री कृष्ण यहां के राजा बने थे और उनकी 16108 रानियां भी यहां उनके साथ रहा करती थी. इसके चलते इस स्थान पर जन्माष्टमी का त्योहार भव्य रूप से मनाया जाता है
उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी मंदिर
कहा जाता है कि द्वापर युग के बाद भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथपुरी में बस गए थे. जगन्नाथ पुरी के इस भव्य मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है. यह मंदिर भी भारत के चार धामों में से एक है और यहां तीन विशाल रथो की यात्रा भी निकाली जाती है. जिसमें दूर दराज से लोग आकर इस विशाल रथयात्रा का हिस्सा बनते हैं. बेशक जन्माष्टमी के मौके पर यहां का माहौल सदैव की तरह सुरम्य तथा कृष्ण की भक्ति में लीन रहता है.
दक्षिण भारत का प्रमुख मंदिर, श्री कृष्णमठ मंदिर
भारत के विभिन्न राज्यों में श्री कृष्ण के मंदिर स्थापित है. इसी प्रकार दक्षिण भारत में भी श्री कृष्ण का एक मुख्य मंदिर स्थापित है जिसका नाम है श्री कृष्ण मठ मंदिर. यह मंदिर उडुपी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में श्री कृष्ण की पूजा खिड़की के 9 छिद्रों में से की जाती है. लकड़ी और पत्थर से बने हुए इस मंदिर के पास एक तालाब मौजूद है. जिसमें मंदिर का प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देता है. जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में बेहद धूमधाम से तैयारियां की जाती है. आप यहां आकर जन्माष्टमी के अपने उत्सव को दोगुना कर सकते हैं.