Khatu shyam baba: कितना जानते हैं आप बाबा खाटू श्याम को? यहां जानें उनसे जुड़ी 10 मुख्य बातें
Khatu shyam baba: बाबा खाटू श्याम को कलियुग में प्रमुख देवता के तौर पर पूजा जाता है. बाबा खाटू श्याम के भक्त उनके दर्शन करने के लिए अनेकों जतन करते हैं. बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है, जोकि भीम के प्रपौत्र बरबरी का ही अवतार है, जिनको भगवान श्री कृष्ण ने कलियुग में पूजे जाने का वरदान दिया था. ऐसे में जैसे-जैसे कलियुग आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बाबा खाटू श्याम का नाम भी बढ़ रहा है. आज के इस लेख में हम आपको बाबा खाटू श्याम से जुड़े कुछ एक रहस्य बताने वाले हैं, जिनको जानकर आपको अवश्य ही आश्चर्य होगा और बाबा के प्रति आपकी भक्ति और श्रद्धा और बढ़ जाएगी. तो चलिए जाते हैं…
बाबा खाटू श्याम से जुड़े 10 रहस्य के बारे में
खाटू श्याम का जन्मोत्सव देवउठनी एकादशी के दिन कार्तिक माह में मनाया जाता है. जिन्हें भगवान विष्णु के अवतार के तौर पर पूजा जाता है.
खाटू श्याम को हारे का सहारा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इनके नाम का अर्थ है मां सैव्यम पराजित. यानी जो निर्धन, दीन दुखियों और हारे हुए को बल प्रदान करता हो.
खाटू श्याम के मंदिर राजस्थान में फाल्गुन महीने से ग्यारस मेला लगता है, जहां दूर-दूर से खाटू श्याम के भक्तों पहुंचते हैं.
खाटू श्याम मंदिर में बाबा खाटू कुंड में प्रकट हुए थे और वे अपने भक्तों को भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार में दर्शन देते हैं.
खाटू श्याम को शीशदानी और मोरछा धारी के नाम से भी जाना जाता है. विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर भी कहा जाता है.
बाबा खाटू श्याम पांडव भीष्म के पुत्र घटोत्कच के बेटे बर्बरीक थे, जिनको देवी माता से तीन चमत्कारी बाणों का वरदान मिला था. जिस कारण वह अजर थे.
बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से अधिक शक्तिशाली और रहस्यमई था, जिसके लिए मायावी शक्तियों से कुछ भी करना संभव था.
ये भी पढ़ें:- श्री खाटू श्याम मंदिर में लगने वाले मेले का महत्व
बाबा खाटू श्याम जी फाल्गुन महीने की एकादशी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के कहने पर उन्हें अपने शीश का दान दे दिया था, और महाभारत का युद्ध उन्होंने अपने कटे हुए सिर के माध्यम ही देखा था, तभी से भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कलियुग में पूजे जाने का वरदान दिया.